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भजन - संयम साँचो वाको कहिये ॥ ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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जहां राखे करतार, वाको बाल न बांको जाय
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वाको
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reference
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mention
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तीर्थवाक
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कुत्रीं भुंकभुंक भुकतीं, डौलानें चाले हत्ती
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भुंकतीं तीं द्यावीं भुंकों । आपण नये त्यांचे शिकों
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भजन - मधुमाखी जरै नहिं दीपकपै ।...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - धरतीमें पानी बास करै । छ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - चंचल मनको बस करिय कसस ॥ ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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खवंदळणें
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चार्व्वाक
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कबीर के दोहे - तजी दियो प्राण काया कैसी ...
कबीर के दोहे
हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है। Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".
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भजन - ऐसा साधू करम दहै ॥ अपना...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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खवदळणें
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नाम महिमा - श्रीवृन्दावन -धाम अपार ...
भगवन्नामकी महिमा अपरंपार है, नामोच्चारसे जीवनके पाप नष्ट हो जाते है ।
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भारूड - जोगी
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे.
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दोहे - ३०१ से ३५०
रहीम मध्यकालीन सामंतवादी कवि होऊन गेले. रहीम यांचे व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न होते. तसेच ते सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि शिवाय विद्वानसुद्धां होते.
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हिन्दी पद - पदे ९६ से ९९
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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ज्ञानेश्वरकृत पदें १४ ते १६
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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डफगाणे - ६०८ ते ६१५
संत बहेणाबाईचे अभंग
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दोहे - ३५१ से ४००
रहीम मध्यकालीन सामंतवादी कवि होऊन गेले. रहीम यांचे व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न होते. तसेच ते सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि शिवाय विद्वानसुद्धां होते.
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दोहे - १०१ से १५०
रहीम मध्यकालीन सामंतवादी कवि होऊन गेले. रहीम यांचे व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न होते. तसेच ते सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि शिवाय विद्वानसुद्धां होते.
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दोहावली - भाग १३
कबीर सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. कबीरदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत.
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मयूरध्वजाख्यान - मयूरध्वजाख्यान
कीर्तनासंबंधी ज्ञान संपादन करून, नंतर स्वार्थ वा परमार्थ संपादन व्हावा या उद्देशाने कीर्तन करून लोकांस ज्ञान सांगण्यासाठी कीर्तनकार आख्यान लावतात.
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हिंदी पदे - ३६५ ते ३७९
संत बहेणाबाईचे अभंग
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श्री शिवा बावनी
महाकवि भूषण कृत श्री शिवा बावनी
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ठाकुर प्रसाद - दशम स्कन्ध (पूर्वार्ध)
ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.
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॥मान॥ १२०
एका रामदासीने "दासविश्रामधाम" नावाचे मोठे बाड चार भागात ओवी रुपात लिहिले. धुळ्याचे सज्जन ब्राम्हण व राजवाडे संस्था नि ब्राम्हण बँकांनी ते सन १९३० च्या दरम्यान छापून घेतले.
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